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भाजपा का फर्ज और हरीश का हर्ष

सच
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लम्‍बे अर्से बाद जब मैं जंक्‍शन पर आया हूं तो मुझे अपने मित्र हरीश दुबे याद आ रहे हैं। वही हरीश दुबे जिनको संसदीय चुनाव के दौरान भाजपा ने एक अदद टिकट के लिए नकार दिया था। वही हरीश जिनकों भाजपा ने हाल ही में देश के सबसे बडे प्रदेश उत्‍तर प्रदेश के अपने युवा मोर्चा का अध्‍यक्ष बनाया है। इस परिस्थिति को भाजपा के भीतर या बाहर चाहे जो जिस तरह से ले पर मैं यही मानता हूं कि हरीश अपनी नई जिम्‍मेदारी के योग्‍य पहले ही हो गये थे। छात्र राक्ष्‍जनीति में तपे और संघ के छात्र शाखा के इलाहाबाद के विभाग संगठन मंत्री के रास्‍ते अपने घर आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल की धरती पर लौटे तो उनकों भाजपा से बडी उम्‍मीद थी। विधान सभा के चुनाव में मीडिया मैनेजर की भूमिका निभाते हुए उन्‍होंने उसी समय पार्टी को बता दिया था कि वह संसदीय चुनाव से ही अपने सार्वजनिक राजनीतिक जीवन को शुरू करेंगे। हालांकि उस समय भी वह केशरी नाथ त्रिपाठी के काफी करीब थे और संगठन में उंचे तक उनकी पकड थी। बावजूद इसके उन्‍होंने विधानसभा टिकट की मांग नहीं की। संसदी चुनाव को ही अपना लक्ष्‍य बताते हुए अपने जिले बस्‍ती में खास कर युवाओ को संगठित करने लगे। संसदीय चुनाव आने तक तो उनका यह प्रयास गांव गांव में चर्चा का विषय हो गया। स्‍थानीय भाजपा का एक बडा वर्ग यह मानने लगा कि हरीश को ही पार्टी टिकट देगी और लडाई अच्‍छी होगी। यही कारण था कि हरीश ने अपना सब कुछ इस चुनाव की तैयारी में झोंक दिया। पर, भाजपा के तब के नीति निर्धारकों को लगा कि हरीश अभी बच्‍चे हैं। ऐसे में उनका टिकट काट दिया गया वह भी चुनाव के चन्‍द् दिनों पहले। टिकट कटने के बाद लग रहा था कि हरीश जितनी निष्‍ठा से भाजपा में थे उतनी ही दूरी बना लेंगे। कुद तो उनके बागी होने की बात भी बाजार में छोड आए। पर हरीश ने न भाजपा छोडी और न ही पार्टी प्रत्‍याशी के राह में रोडे खडा कर अपने पर भीतरघाती का कलंक लगने दिया। यह और बात है कि भाजपा चौथे स्‍थान पर चली गयी तो टिकट देने वालों का जवाब तक नही मिला। खैर देर से ही सही भाजपा ने इस युवा नेता को युवाओ की बडी जिम्‍मेदारी सौंप कर संसदीय चुनाव में दिये जख्‍म को जहां भर दिया है वही हरीश को भी एक बार और उत्‍साह से काम करने का मौका दिया है। वास्‍तव में मैने जो देखा है उसकी बात करू तो हरीश में संगठन की क्ष्‍ामता है। युवाओ को जोडने की झमता है। क्‍योंकि चुनाव के दौरान यह कहा जाने लगा था कि पहली बार हरीश ने चुनाव तैयारी के बहाने ही सही भाजपा को गांव गांव पहुंचा दिया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि वह भाजयुमों को भी नई उंचाई देंगे। शुक्रवार को प्रदेश की राजधानी में हुआ स्‍वागत तो यही संकेत दे रहा है। उस युवा नेता की नई पारी के लिए एक मित्र के रूप में बधाई।

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